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विवेकशीलता संग नियोजन बदले जब क्षेत्र निवास हैं छोड़ दी आशा जलती छोड़ स्कूल हृदय हूं नेह बदलेगा ठांव संदेह़ प्रभाव बन जाती है मोती छोड़ जाते उत्प्रवासी गेह मीन चुका

Hindi छोड़ गेह निज Poems